राजनीति विज्ञान: भूमण्डलीकरण - उदारीकरण

उदारीकरण - भूमण्डलीकरण आधुनिक युग की प्रमुख विशेषताएँ हैं । विश्व की अर्थव्यवस्था में आया खुलापन , आपसी जुड़ाव और परस्पर निर्भरता का फैलाव उदारीकरण और वैश्वीकरण के ही परिणाम हैं । भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक लेन - देन पर लगी रोक के हटने से शुरू हुई है । विश्व अर्थव्यवस्था में कई तरह की रूकावटें दूर होने से उदारीकरण के लिए रास्ता साफ हुआ है । इससे पारस्परिक व्यापार के क्षेत्र में खुलापन आया है , निजीकरण को बढ़ावा मिला और विदेशी निवेश के प्रति उदारता बढ़ी है । इसके अतिरिक्त वित्तीय क्षेत्रों में भी उदार नीतियाँ अपनायी जा रही हैं।

भूमण्डलीकरण - उदारीकरण से अभिप्राय

पूरी दुनिया को एक भूमण्डलीकरण गाँव के रूप में मानने की अवधारणा ही भूमण्डलीकरण है । सामान्यतया इसमें चार तत्व सम्मिलित होते हैं- 

( 1 ) संसार के विभिन्न देशों में बिना किसी अवरोध के विभिन्न वस्तुओं का आदान - प्रदान सम्भव बनाने के लिए व्यापार अवरोधों को कम करना। 

( 2 ) संसार के विभिन्न देशों में श्रम का निर्बाध प्रवाह सम्भव बनाना। 

( 3 ) आधुनिक प्रौद्योगिकी का निर्बाध प्रवाह सम्भव बनाने हेतु उपयुक्त वातावरण 

( 4 ) विभिन्न राष्ट्रों में पूँजी का स्वतंत्र प्रवाह सम्भव बनाने हेतु आवश्यक परिस्थितियाँ पैदना करना। 

यद्यपि भूमण्डलीकरण उदारीकरण जैसे कई शब्दों को आमतौर से समान अर्थों में प्रयोग किया जाता है , लेकिन तकनीकी रूप से ये सभी एक - दूसरे से संबंधित होते हुए भी अलग - अलग हैं । उदारीकरण का अर्थ व्यापार हेतु कानूनी प्रतिबंधों में ढील देते हुए आयात व निर्यात को आसान बनाने से होता है । उदारीकरण के अन्तर्गत व्यापार , उद्योग एवं निवेश पर लगे ऐसे प्रतिबंधों को समाप्त किया जाता है जिसके फलस्वरूप व्यापार , उद्योग एवं निवेश के स्वतंत्र प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है , प्रतिबंधों को समाप्त करने के अतिरिक्त विभिन्न करों में रियासत , सीमा शुल्कों में कटौती तथा मात्रात्मक प्रतिबंधों को समाप्त करने जैसे उपाय प्रतिबंधों को शिथिल किया जाता है । 

निजीकरण , उदारीकरण का एक पूरक पहलू है के अधिकार की सुरक्षा की गारंटी दी जाती है तथा पूँजी एवं लाभ की पुनर्वापसी पर लगे भी किये जाते हैं , साथ ही विदेशी निवेशकों को उनकी भौतिक एवं बौद्धिक सम्पदा तथा सार्वजनिक उपक्रमों की कार्यकुशलता में कमी तथा भारी घाटे को ध्यान में रखकर सरकार किया जा रहा है । अर्थात् उनकी पूंजी या स्वामित्व निजी व्यक्तियों को बेचा जा रहा है । सरकार ने ऐसे उपक्रमों का निजीकरण करने की नीति अपनाई है जिसके अन्तर्गत उनका उपनिवेश की नीति सार्वजनिक उपक्रमों की गतिविधियों को सीमित कर इस क्षेत्र में निजी उद्योगपतियां को बढ़ावा देने की है । सार्वजनिक उपक्रमों को पूर्ण रूप से आंशिक रूप से निव उद्योगपतियों को बेचना निजीकरण कहलाता है । 

भूमण्डलीकरण या ग्लोबलाइजेशन से तात्पर्य विश्व के सारे संसाधनों , ज्ञान , जानकारी जनशक्ति और बाजारों को एक स्तर पर लाते हुए इन्हें निर्बाध रूप से लोगों को उपलब्ध करा के लिए सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत व आत्मनिर्भर बनाने से होता है । इससे एक देश की अर्थव्यवस्था सुगमतापूर्वक विश्व की अर्थव्यवस्था से जुड़ जाती है। 

भूमण्डलीकरण ( वैश्वीकरण ) एकरूपता एवं समरूपता की वह प्रक्रिया है , जिसमें सम्पूर्ण विश्व सिमटकर एक हो जाता है । एक देश की सीमा से बाहर अन्य देशों में वस्तुओं एवं सेवाओं का लेन - देन करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय निगमों अथवा बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ देश के उद्योगों की सम्बद्धन भूमण्डलीकरण है । संक्षेप में , भमण्डलीकरण राष्ट्रों की राजनीतिक सीमाओं के आर - पार आर्थिक लेन - देन की प्रक्रियाओं और उनके प्रबंधन का प्रवाह है । विश्व अर्थव्यवस्था में आया खुलापन आपसी जुड़ाव और परस्पर निर्भरता के फैलाव को भूमण्डलीकरण कहा जाता है। 

आज जिस भूमण्डलीकरण की हम चर्चा करते हैं , उनका उद्भव लगभग 25 वर्ष पूर्व बहुराष्ट्रीय निगमों प्रहारों और अनुदारवादी आंदोलन में मिलता है जिसने पश्चिमी दुनिया को अपने शिकंजे में जकड़ लिया था और जिसके प्रणेता ब्रिटेन की थैचर , जर्मनी को कोहल और अमेरिका के रोनाल्ड रोगन थे । बहुराष्ट्रीय निगम पूरी दुनिया में अपने चरण बढ़ाने लगे और पूँजी एवं मुद्रा पर लगे नियंत्रणों को तोड़ते हुए विनिवेश और व्यापार के लिए मुक्त द्वार का नारा बुलन्द करने लगे । उनका तर्क था कि मुक्त बाजार से विकास दर में वृद्धि होगी , विकास से निर्धनता में कमी आएगी और निर्धनता में कमी लोकतंत्र के विकास एवं सुदृढ़ता में सहायक होगी। 

वस्तुत : उदारीकरण और निजीकरण भूमण्डलीकरण से पूर्व की दो महत्वपूर्ण सीढ़ियाँ हैं , जिनका प्रयोग करते हुए वैश्वीकरण की स्थिति में पहुँचने का प्रयास किया जाता है । आज आर्थिक उदारीकरण और भूमण्डलीकरण की लहर न केवल भारत में बल्कि लगभग विश्व के सभी भागों में कहीं तेज और कहीं मन्द रफ्तार से चल रही है । सामान्य में तौर पर दुनिया के अनेक भागों में आर्थिक उदारीकरण की लहर वर्ष 1980-81 से विश्व प्रमुख मानी जाने वाली समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं के भ्रमजाल के टूटने के फलस्वरूप प्रारम्भ हुई और सोवियत रूस सहित पूर्वी यूरोप और चीन जैसे साम्यवादी देश में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया तेजी से फूलती गई । 

हमारे देश में भी आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया 1980 के दशक में विशेष रूप से राजीव गांधी के प्रधानमंत्री पद सम्भालने के बाद वर्ष 1985 से शुरू हुई । इन सुधारों को वर्ष 1991 में पी . वी . नरसिंह राव की सरकार ने सत्ता सम्भालने के बाद सुव्यवस्थित रूप प्रदान करने का प्रयास किया । इसे आर्थिक सुधारों की दूसरी लहर अथवा दूसरी पीढ़ी के सुधारों के नाम से सम्बोधित किया गया।

राजनीति विज्ञान: भूमण्डलीकरण - उदारीकरण राजनीति विज्ञान: भूमण्डलीकरण - उदारीकरण Reviewed by Rajeev on जनवरी 30, 2023 Rating: 5

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